एओर्टिक एन्यूरिज्म

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जब रक्त वाहिका अपने सामान आकार से 50% अधिक बढ़ जाती है तो इसे एन्यूरिज्म कहते हैं| एन्यूरिज्म शरीर में किसी भी वाहिका मे हो सकता है ,जिसमे पेट की महाधमनी/ Aorta सबसे अधिक प्रभावित होती है|

एओर्टिक एन्यूरिज्म क्यों होता है

एओर्टिक एन्यूरिज्म के कोई विशेष लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन उच्च रक्तचाप के साथ-साथ धूम्रपान करना एओर्टिक एन्यूरिज्म होने का कारण बन सकता है| एन्यूरिज्म Degenerative प्रवृति के होते हैं साथ ही इनमें एथेरोस्क्लेरोसिस की विशेषता होती है जो इन में प्लाॅक और कैल्सीफिकेशन ही तरह दिखाई देती है आज की तुलना में वह लोग जिनकी 10 साल पहले हार्ट की बायपास सर्जरी हो चुकी है या फिर Kidney Transplant हो चुका है , उनके लिए पेट एओर्टिक एन्यूरिज्म होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है|

एओर्टिक एन्यूरिज्म से क्या खतरा है?

एन्यूरिज्म से सबसे बड़ा जोखिम शरीर में कहीं भी एन्यूरिज्म के फटने से होता है। जब एन्यूरिज्म सामान्य आकार से अधिक बढ़ जाता है तो इसके फटने का खतरा रहता है। यह बिल्कुल एक गुब्बारे को फुलाने की तरह होता है। जिस तरह गुब्बारे में जरूरत से अधिक हवा भरने पर वह फट जाता है उसी प्रकार एन्यूरिज्म सामान्य से अधिक बढ़ जाने पर फट सकता है। एन्यूरिज्म के इलाज के लिए तय किया गया आकार आमतौर पर पुरुषों के लिए 5 से 5 .5 सेमी. और महिलाओं के लिए 4 से 4.5 सेमी. है। ऐसा इसलिए है क्योंकि तुलना की जाए तो महिलाओं की रक्त वाहिकाए आकार में पुरुषों की रक्त वाहिकाओ से छोटी होती है। एन्यूरिज्म अपने अंदर थ्रोम्बस बनाने के लिए भी इच्छुक होता है। यह एन्यूरिज्म के बाहरी हिस्सों में अशांत रक्त प्रवाह के कारण होता है। इसमें बनने वाले थ्रोम्बस से डिस्टल एंबोलाइजेशन का जोखिम बना रहता है जो पैरों की धमनियों में तीव्र रुकावट पैदा कर सकता है। Distal Embolisation का खतरा Popliteal Artery एन्यूरिज्म मैं अधिक रहता है, जो जोखिम भरा हो सकता है।

एओर्टिक एन्यूरिज्म ज्यादातर कहाॅ विकास करता हैॽ

एओर्टिक एन्यूरिज्म आमतौर पर पेट की महाधमनी में विकास करता है।


पेट के एओर्टिक एन्यूरिज्म के लक्षण क्या है?

पेट की एओर्टिक एन्यूरिज्म के कोई लक्षण नहीं होते है, लेकिन वह व्यक्ति जो धूम्रपान करता है या जिसको उच्च रक्तचाप की समस्या है यदि उसे अचानक जोर से पेट में दर्द होने लगे तो यह एओर्टिक एन्यूरिज्म होने का लक्षण हो सकता है। पेट व कमर में दर्द की समस्या हो सकती है।यह लक्षण या तो एन्यूरिज्म के फटने या उसके तेजी से बढ़ने के कारण उत्पन्न होते हैं। एन्यूरिज्म का तीव्र विस्तार, एन्यूरिज्म के फटने का एक पूर्व लक्षण है जिसे ध्यान में रखते हुए ऐसे रोगियों को अस्पताल में भर्ती कर शुरुआती हस्तक्षेप शुरू कर देना चाहिए। बहुत सी बार एन्यूरिज्म का थ्रोम्बस, Distally Embolise हो जाता है जो तीव्र अंग Ischemia का कारण बनता है। रीड की हड्डी टूटने लगती है और यह TB की तरह दिखता है जिसके कारण Diagnosis और इलाज में विलम्ब हो जाता है। महिलाओं में 4-4.5 सेमी व पुरुषों में 5-5.5 सेमी से अधिक एन्यूरिज्म के बढ़ने पर इनका शुरुआती हस्तक्षेप शुरू कर देना चाहिए। कभी-कभी एन्यूरिज्म की पहचान कई अन्य Arterial समस्याओं की जैसै Mesenteruc और Renal Artery Disease, Arterial Claudicatio Pain या Iliac Diseases जांच के दौरान होती है।

मरीज की छोटे Size/आकार वाले एओर्टिक एन्यूरिज्म की पहचान होने पर आगे की कार्यवाही कैसे की जानी चाहिए?

एक बार सी टी एंजियोग्राफी पर एन्यूरिज्म के आकार की पुष्टि हो जाने पर, एन्यूरिज्म के आकार में किसी भी प्रकार की वृद्धि नोट करने के लिए हर 6 महीने में पेट का अल्ट्रासाउंड किया जाना चाहिए। यदि आकार में 6 महीने में 0.6 मिमी से ज्यादा या 1 वर्ष में एक सेमी की वृद्धि होती है तो यह उपचार शुरू कर देने के लिए एक संकेत है। जिन रोगियों का किडनी, लीवर या हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ है, सामान्य आबादी की तुलना में ऐसे रोगियों के साथ एन्यूरिज्म के फटने या एन्यूरिज्म के तेजी से बढ़ने की घटना अधिक होती है।

पेट के एओर्टिक एन्यूरिज्म में स्क्रीनिंग की क्या भूमिका है?

जांच करने के लिए स्क्रीनिंग एक अत्यधिक प्रभावी उपकरण है। इससे पहले की समस्या अधिक बढ़ जाए एन्यूरिज्म की पहचान कर इसका इलाज शुरू कर देने में मदद मिलती है। एओर्टिक के सही आकार का पता लगाने के लिए पेट एओर्टिक की अल्ट्रा सोनोग्राफी करना आवश्यक है। इसके आकार को Mesenteric Vessels, Mid Infra-Renal Aorta और Aortic Bifurcation के स्तर तक मापा जा सकता है। जब एन्यूरिज्म का आकार मापा जाए तब इसका कुल आकार (यानी लंबाई, और ऐंटरो-पोस्टीरियर और मेडियो-लेटरल सतह में आडा व्यास) को किसी भी इंट्रालूमिनल थ्रोम्बस की उपस्थिति के साथ मापा जाना चाहिए

इसके उपचार के क्या विकल्प क्या है?

अलक्ष्णीय होने पर निरंतर Follow Up के अन्तर्गत छोटे एन्यूरिज्म की देखरेख की जाती है।
शल्य चिकित्सा और देखरेख के बीच का फैसला इन लक्षण के आधार पर लिया जाता है
1. देखरेख के अन्तर्गत एन्यूरिज्म के फटने का जोखिम हो।
2. शल्य चिकित्सा का जोखिम
3. मरीजों के जीवन की अनुमानित अवधि
4. मरीजो की व्यक्तिगत पसन्द

उपलब्ध सर्जिकल उपचार के तरीके है-

1. सर्जरी

पेट एओर्टिक एन्यूरिज्म में मरम्मत पेट या छाती+पेट (Thoraco-Abdominal)के द्वारा की जाती है। इसमें एओर्टा के एन्यूरिज्म के हिस्सों को सिंथेटिक ग्राफ्ट (जो कि बिल्कुल bio-compatible होता है) से बदल दिया जाता है। मरीजों को 24 से 48 घंटे तक ICU में रखा जाता है, तीसरे दिन तक उनकी Oral Diet शुरू कर दी जाती है। अधिकांश मरीजों को 5 से 7 दिन में छुट्टी दे दी जाती है।
बहुत सी बार सम्बधित प्रक्रियाए जैसे किडनी की धमनियों का revascularization और liver-intestine की धमनियां को एक ही बार में कर दिया जाता है।इस मरम्मत के परिणाम बहुत ही टिकाउ व लम्बी अवधि के होते हैं।


2. EVAR (Endo Vascular Aneurysm Repair)

EVER वह प्रक्रिया है जिसमें एन्यूरिज्म का उपचार एओर्टा के अंदर ही किया जाता है। इसमें एक Covered Stant Graft को लगाया जाता है, इससे एओर्टा में प्रवाह को सही कर एन्यूरिज्म के बढ़ने, फटने और अन्य परेशानियो को होने से रोका जाता है। यह प्रक्रिया जाघं द्वारा की जाती है। को Comorbidities के आधार पर मरीज को कुछ दिन के लिए वार्ड या ICU में रखा जाता है। बहुत सी बार मरीज को 2 से 3 दिन या उससे भी जल्दी छुट्टी दे दी जाती है। Physician के साथ regular follow up जरूरी होता है।

3. मिश्रित मरम्मत ( Hybrid Repair)

यह बहुत ही जटिल एन्यूरिज्म के लिए की जाती है। इसमें Surgery व Endovascular का प्रयोग साथ में किया जाता है। यह ज्यादातर उन एन्यूरिज्म के लिए किए जाते हैं जो एओर्टा के उस भाग में शामिल होते हैं जहां से Liver-Stomach-Intestine और Kidney की धनिया निकलती है। इसे एक या फिर दो स्टेज में किया जाता है। पहले स्टेज में Liver-Stomach-Intestines और Kidney की Arteries का Bypass किया जाता है। वह दूसरी स्टेज में एओर्टा मे एन्यूरिज्म को हटाने के लिए Coverd Stent Graft लगाया जाता है जिससे Intraluminal Thrombus को फटने और Distal Embolisation से रोका जाता है।

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